पवित्र कुरआन अपने अनुयायियों को रोज़े का आदेश देते हुए कहता है- ‘‘हे आस्तिको ! तुम्हारे लिए रोज़े निर्धारित किए गए जैसे कि तुम से पूर्व लोगों के लिए निर्धारित किए गए थे ताकि तुम परहेज़गार बन सको।‘‘ (क़ुरआन 2 : 183)
नाम : डॉ. ग़ुलाम मुर्तज़ा शरीफ़
नागपुर के सुप्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और मौलाना अब्दुल क़लाम आज़ाद के सहयोगी बैरिस्टर यूसुफ़ शरीफ़ के भतीजे डॉ. ग़ुलाम मुर्त्तज़ा शरीफ़ का जन्म 8 जनवरी, 1948 को रायपुर (छत्तीसगढ़), भारत में हुआ।
डॉ. ग़ुलाम मुर्त्तज़ा शरीफ़ 1974 में " हिन्दी वर्ल्ड रेडियो सर्विस", कराची (पाकिस्तान) में अनुवादक रहे। इन्होंने कई पुस्तकों का उर्दू से हिन्दी में अनुवाद किया है। रूहानी बुज़ुर्ग ख़्वाजा शम्सुद्दीन अज़ीमी साहब की प्रसिद्ध पुस्तक "रूहानी इलाज", प्रोफेसर बज़्मी अंसारी की शायरी की पुस्तक "आब-ए-जू" का उर्दू से हिन्दी में अनुवाद किया। आजकल "क़ुर्रान शरीफ़" के हिन्दी अनुवाद का उत्तरदायित्व निभा रहे हैं और उर्दू नातिया शायरी के सुप्रसिद्ध शायर जनाब अदीब रायपुरी साहब की नातिया शायरी का उर्दू से हिन्दी में अनुवाद कर रहे हैं।
उर्दू साहित्य के स्तंभ स्वर्गीय रईस अमरोहवी साहब के सहयोग से हिन्दी की सेवा करते रहने वाले डॉ. ग़ुलाम मुर्त्तज़ा शरीफ़ कई भाषाओं का ज्ञान रखते हैं |
achchhi aur sachchi bat
ReplyDeleteशानदार पोस्ट
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने डॉक्टर साहब....आपने फ़रमाया की खुदा ने हर किसी को बंदगी के अलग तरीकों से नवाज़ा है, रास्ते तो सब एक ही मंजिल को पहुँचते हैं|
ReplyDeleteaapka shukriya aap hamari anjuman par amulya tippani dekar aaye!
ReplyDeletesaleem khan
founder
hamarianjuman.com
9838659380
पवित्र कुरआन अपने अनुयायियों को रोज़े का आदेश देते हुए कहता है- ‘‘हे आस्तिको ! तुम्हारे लिए रोज़े निर्धारित किए गए जैसे कि तुम से पूर्व लोगों के लिए निर्धारित किए गए थे ताकि तुम परहेज़गार बन सको।‘‘ (क़ुरआन 2 : 183)
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